Thursday 5 May 2022

साबरमती के संत

 साबरमती के संत हां तुमने सच में क्या कमाल किया था,

जिसने तुमपे किया भरोसा, उसको ही बिन ढाल कीया था।


लाखों मुंड अगणित रुण्डों के बिना खड्ग तलवार कटे थे,

ट्रेन के डिब्बे सने रक्त और शव के  तो अंबार पटे थे।


तरकश में जिनके भी तीर थे

उनको भी तुम किये स्थीर थे,

बीच समर में छोड़ हटे तुम

प्यादों से पिट गए वजीर थे।


कैसी सोच और मनः स्थिति लगते हैं बस पात्र हंसी के,

जिस भारत की कोख से जन्मे, बन बैठे तुम पिता उसी के।



  -:रिशु कुमार दुबे "किशोर":-

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