Tuesday 29 September 2015

अलविदा ना कहना

ना तेरा हि घर है, ना मेरा हि घर है..
मिले हैं जहां, ये तो बस रहगुज़र है..
खुदा ने बनाई है, दुनियां सिफ़र सी..
मिलेंगे तुम्हें फिर, यही लफ्ज़ पर है..
       
           -:रिशु कुमार दुबे "किशोर":-

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