I have some poems and stuff to share, these all are my feelings. Enjoy!
ना तेरा हि घर है, ना मेरा हि घर है.. मिले हैं जहां, ये तो बस रहगुज़र है.. खुदा ने बनाई है, दुनियां सिफ़र सी.. मिलेंगे तुम्हें फिर, यही लफ्ज़ पर है.. -:रिशु कुमार दुबे "किशोर":-
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