हे रश्मि!
हे रश्मि हमारे जीवन को अपने प्रकाश से भर देती
मेरे मन के अंधेरो को बस बदल दीप्ति में तुम देती
के रश्मि हमारे जीवन को बस तेजोमय तुम कर देती
इस मन में फैला है वीरान, हो रहा अदृष्टित यहाँ प्राण
तुम तो आधार हो सूरज की मुझको सूरज सा कर देती
हे रश्मि हमारे ....................................................
इस जग सब रंगीन निराले, बन बैठे है अँधेरे काले
इन पर तुम अपनी दृष्टि डाल, सबको कुछ रंगीला कर देती
हे रश्मि हमारे ....................................................
यूँ तो घटता बढ़ता है चाँद, पर मैं हूँ कृष्ण का तुच्छ चाँद
मेरे समीप तुम आकर के , और मुझको गले लगा कर के
हमें पूर्ण चाँद तुम कर देती
हे रश्मि हमारे ....................................................
जो बना हुआ है एक वीरान, उसको कर दो सौन्दर्यवान
ये इस चमन को फूलों से भर, सब क्रंदन को तुम हर लेती
हे रश्मि हमारे ....................................................
-:रिशु कुमार दुबे "किशोर" :-
हे रश्मि हमारे जीवन को अपने प्रकाश से भर देती
मेरे मन के अंधेरो को बस बदल दीप्ति में तुम देती
के रश्मि हमारे जीवन को बस तेजोमय तुम कर देती
इस मन में फैला है वीरान, हो रहा अदृष्टित यहाँ प्राण
तुम तो आधार हो सूरज की मुझको सूरज सा कर देती
हे रश्मि हमारे ....................................................
इस जग सब रंगीन निराले, बन बैठे है अँधेरे काले
इन पर तुम अपनी दृष्टि डाल, सबको कुछ रंगीला कर देती
हे रश्मि हमारे ....................................................
यूँ तो घटता बढ़ता है चाँद, पर मैं हूँ कृष्ण का तुच्छ चाँद
मेरे समीप तुम आकर के , और मुझको गले लगा कर के
हमें पूर्ण चाँद तुम कर देती
हे रश्मि हमारे ....................................................
जो बना हुआ है एक वीरान, उसको कर दो सौन्दर्यवान
ये इस चमन को फूलों से भर, सब क्रंदन को तुम हर लेती
हे रश्मि हमारे ....................................................
-:रिशु कुमार दुबे "किशोर" :-
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